सावन माह में क्यों की जाती है भगवान शिव की पूजा, माता पार्वती से जुड़ा है रहस्य
सावन माह की शुरुआत के साथ ही भारत में त्योहारों का सीजन भी शुरू हो चुका है। सावन का पूरा महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। सावन माह में हर सोमवार को श्रद्धालु व्रत रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि व्रत रखने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। सावन माह में हमें और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए वह इस रिपोर्ट से समझने की कोशिश करेंगे।
पंडित रविदत्त शास्त्री ने बताया कि श्रावण मास भगवान शिव की पूजा उपासना एवं उपवास के लिए है। भगवान शिव को श्रावण मास सर्वाधिक प्रिय है। सती ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपना शरीर होम करने के बाद जब उन्होंने हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया तब उन्होंने श्रावण मास में भगवान शिव की विधिवत पूजा उपासना की थी। इसके कारण उन्होंने भगवान शिव को पुन: पति के रूप में प्राप्त किया। इसी कारण भगवान शिव को यह मास बहुत प्रिय है। श्रावण में सोमवार का दिन तो भगवान शिव की पूजा का ही दिन है। श्रावण मास के प्रथम सोमवार से सोलह सोमवार तक व्रत करने पर मनोकामना की पूर्ति होती है।
कार्तिक मास की अमावस्या तक रोटक नामक व्रत किया जाता है
श्रावण मास के प्रथम सोमवार से शुरू करते हुए कार्तिक मास की अमावस्या तक रोटक नामक व्रत किया जाता है। यह व्रत अर्थ सिद्धि प्रदाता है। यही कारण है कि सभी शिवभक्त श्रावण के सोमवार को व्रत रखते हैं एवं पूजा उपासना करते हैं।
श्रावण के प्रथम सोमवार को प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर यह संकल्प लेना चाहिए कि मैं शिव कृपा प्राप्ति के उद्देश्य से श्रावण के सोमवार का व्रत करने का संकल्प लेता-लेती हूं। हे महादेव! मेरे इस संकल्प को पूर्ण करें। इसके उपरांत शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का दूध व जल से विधिवत पूजन करें। कहने का तात्पर्य ये है कि व्यक्ति शिव की पूजा करें ,विधि और नियम से करें और उससे भी बढ़कर अपने मन के भावों को पूर्णतः समर्पित करके करें। बिना भाव के बिना प्रेम के की गई पूजा का उतना फल नहीं मिलता। धर्म सिंधु के अनुसार शिवलिंग की प्रतिष्ठा के लिए श्रावण मास श्रेष्ठ है।
शिव की पूजा से संबंधित कुछ विशिष्ट बातों की जानकारी
-मनुष्य को सदैव उत्तर की ओर मुंह करके शिव की पूजा करनी चाहिए।
-जो मनुष्य बेलपत्र से शिव पूजन करता है उसकी दरिद्रता दूर हो जाती है।
-पार्थिव लिंग की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
-भविष्यपुराण के अनुसार जो मनुष्य एक बार ही धतूरे के फल से शिवलिंग की पूजा करते है। वह गोदान का फल प्राप्त कर शिवलोक में जाते हैं।
-चांदी से निर्मित शिवलिंग की पूजन कीर्ति प्रदान करता है।
-कांसे और पीतल की शिवलिंग की पूजा से सुखों में वृद्धि होती है।
-शीशे के निर्मित शिवलिंग शत्रु के नाश में सहायता करता है।
-अष्टधातु से निर्मित शिवलिंग की पूजा अनेक सिद्धियों की प्राप्ति करता है।
-पारस के निर्मित शिवलिंग का पूजन अपार धन,वैभव,विद्या और महान ऐश्वर्य की प्राप्ति करता है।
-कपूर से निर्मित शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है।
-नवनीत अर्थात मक्खन से निर्मित शिवलिंग सौभाग्य की प्राप्ति कराकर चक्रवर्ती बनाता है।
14 जुलाई से सावन माह की शुरुआत हो चुकी है
पंडित रविदत्त शास्त्री बताते हैं कि 14 जुलाई से सावन माह की शुरुआत हो चुकी है और कावड़ यात्रा भी इसी दिन से शुरू हो जाती है। 24 जुलाई को कमिका एकादशी है। 26 जुलाई को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। 28 जुलाई को अमावस्या और 31 जुलाई को तीज का त्योहार है। दो अगस्त को नाग पंचमी और पांच अगस्त को दुर्गाष्टमी व्रत रखा जाएगा। आठ अगस्त को सावन पुत्रदा एकादशी और नौ अगस्त को प्रदोष व्रत है। 11 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा और 12 अगस्त दिन शुक्रवार को श्रावण मास पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा।
0 Comments